आरोपी को सबक़ सिखाने के उद्देश्य से कारावास में लंबे समय तक नहीं रखा जा सकता : दिल्ली हाईकोर्ट
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- June 21, 2023
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दिल्ली हाई कोर्ट ने एक लड़की के अपहरण के आरोपी की ज़मानत याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि केवल आरोपी को सबक़ सिखाने के उद्देश्य से ट्रायल के दौरान उसकी हिरासत की अवधि को नहीं बढ़ाया जा सकता है।
जस्टिस विकास महाजन की पीठ इस मामले में एक आरोपी की जामनत याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिस पर अपनी प्रेमिका के साथ मिलकर फिरौती के लिए एक लड़की के अपहरण का आरोप था।
इस मामले में आरोपी को सितंबर 2020 में पीड़िता के परिजनों की ओर से गुमशुदगी की शिकायत दर्ज कराए जाने के बाद गिरफ्तार कर लिया गया था।
पीड़िता के पिता का आरोप था कि आरोपी ने फिरौती के रूप 40 लाख रुपए की मांग की थी। फिरौती न दिए जाने पर उसकी बेटी को जान से मारने की धमकी दी थी।
अभियोजन ने कोर्ट को बताया था कि सीआरपीसी की धारा 164 के तहत बयान में पीड़िता का आरोप था कि आरोपी ने उसके साथ मारपीट कर उसका मोबाइल फोन छीन लिया था जिस से वह कॉल और व्हाट्सएप संदेश भेज कर पीड़िता से फिरौती की मांग करता था।
कोर्ट ने पक्षकारों को सुनने के बाद कहा कि इस मामले में आरोपी 2 साल 9 महीने से जेल में बंद है। आरोपी के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया जा चुका है और आरोपी से कोई बरामदगी बाक़ी नहीं है।
कोर्ट ने कहा कि आरोपी को हिरासत में तब ही रखा जा सकता है जब उसके फरार होने या सुबूतों से छेड़छाड़ करने की आशंका हो।
कोर्ट ने कहा कि स्थिति में मात्र सबक़ सिखाने के उद्देश्य से आरोपी की कारावास की अवधि को नहीं बढ़ाया जा सकता है। अपराध की गंभीरता आरोपी को जमानत पर रिहा न किये जाने का एक मात्र मानदंड नहीं है।
कोर्ट ने कहा कि ऐसी परिस्थितियों में आरोपी को जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया जाता है।